कुमार मंगलम बिड़ला सहित 106 हस्तियों को पद्म सम्मान
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को एक समारोह में अलग-अलग क्षेत्र में विशिष्ट काम करने वाले हस्तियों को पद्म पुरस्कार प्रदान किया। इसमें मशहूर उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा सहित अन्य शामिल हैं। बुधवार शाम राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने साल 2023 के पद्म सम्मान विजेताओं को प्रदान किए। इस समरोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य मौजूद थे।
इस साल पद्म सम्मान पाने वालों में जाने-माने उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस.एम. कृष्णा, प्रसिद्ध पाश्र्व गायिका सुमन कल्याणपुर और अन्य हस्तियां शामिल हैं। बुधवार शाम राष्ट्रपति भवन में आयोजित समरोह में 50 से अधिक लोगों को पद्म विभूषण, पद्मभूषण और पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किए गए।
साल 2023 में 106 हस्तियों को पद्म पुरस्कार-
वर्ष 2023 के लिए राष्ट्रपति ने 106 पद्म पुरस्कार प्रदान करने की मंजूरी दी है। सूची में 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं। पुरस्कार पाने वालों की सूची में 19 महिलाएं हैं और विदेशियों/एनआरआई/पीआईओ/ओसीआई की श्रेणी के 2 व्यक्ति और 7 मरणोपरांत पुरस्कार पाने वाले भी शामिल हैं। चार अन्य पद्मभूषण/पद्मश्री पुरस्कार मरणोपरांत हैं।
अरबपति शेयर बाजार निवेशक राकेश झुनझुनवाला, जिनका पिछले साल निधन हो गया, को मरणोपरांत पद्म पुरस्कार दिया गया। पूर्व विदेश मंत्री और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कृष्णा को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। पद्म विभूषण भी वास्तुकला के लिए प्रोफेसर बालकृष्ण दोशी को मरणोपरांत प्रदान किया गया।
सुमन कल्याणपुर को पद्म भूषण सम्मान-
भारतीय पाश्र्व गायिका सुमन कल्याणपुर को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया, जो चार दशक के करियर के दौरान हिंदी, मराठी और 11 अन्य भाषाओं में अनगिनत हिट गानों के लिए जानी जाती हैं। राष्ट्रपति ने साहित्य और शिक्षा के लिए प्रोफेसर कपिल कपूर को पद्मभूषण से भी सम्मानित किया।
राजस्थान के लक्ष्मण सिंह जिनको मिला पद्मश्री, किसानों के लिए चौका तकनीक लाए,
दूदू,राजस्थान के किसान लक्ष्मण सिंह दूदू में लापोड़िया गांव के रहने वाले हैं. हैरत की बात ये है कि दुनिया को इजराइल खेती की तकनीक सिखाता है लेकिन लक्ष्मण सिंह इजराइल को खेती की टेक्निक सिखाते हैं.लक्ष्मण सिंह ने अपने गांव लापोड़िया को बदलने के लिए काम शुरू कर दिया था. 18 साल की उम्र में ही वो गांव में पानी की भारी किल्लत को दूर करने में लग गए थे.
पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया था.लक्ष्मण सिंह ने अपने जल संरक्षण के कार्यों की बदौलत लगभग 50 से अधिक गांवों की तकदीर और तस्वीर बदल दी है.इन्हें देश में जल संरक्षण के क्षेत्र में जाना जाता है. जयपुर से भले 80 किमी की दूरी इनका गांव है लेकिन इन्हें पूरे राजस्थान में जाना और पहचाना जाता है.जल संरक्षण और शिक्षा के लिए वर्षों से अलख जगाये रखी जिससे हजारों लोगों के जिंदगी की डगर बदल गई.