डायबिटीज का होम्योपैथिक द्वारा इलाज
विश्व होम्योपैथी दिवस पर जयपुर के जाने पहचाने होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. के.एम.पारीक द्वारा डायबिटीज पर विशेष लेख
डायबिटीज मेलेटस (Diabetes Mellitus) एक बहुत ही सामान्य रोग है, जिसमें शरीर में इंसुलिन उत्पादन कम हो जाता है या फिर उसे उचित तरीके से नहीं उपयोग किया जाता है। यह रोग आधुनिक जीवनशैली के बढ़ते दबाव के कारण बढ़ता है। इस रोग के विकास में कई कारक शामिल होते हैं, जैसे शरीर के वजन की बढ़ती गति, अधिक मात्रा में तल मिली खुराक, लाइफस्टाइल का प्रभाव आदि।
होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. के.एम.पारीक के इस लेख में हम डायबिटीज के लक्षणों, कारणों, उपचार और डायबिटीज को प्रबंधित करने के लिए कुछ घरेलू नुस्खों के बारे में चर्चा करेंगे।
डायबिटीज के लक्षण:
डायबिटीज के लक्षण में शामिल होते हैं: थकान, भूख लगने का एहसास होना, पेशाब के साथ मिश्रित शरीर के शुगर का निकलना, शरीर में खुजली, पेशाब की अधिकता, सुखी और क्षतिग्रस्त त्वचा, अनावश्यक वजन कमी, पेशाब में जलन, नाखूनों में इन्फेक्शन, नाखूनों में घाव आदि।
डायबिटीज के कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
अतिरिक्त वजन और शारीरिक असंतुलन: अतिरिक्त वजन एक मुख्य कारण होता है जो डायबिटीज को उत्पन्न करता है। यह बढ़ती उम्र के साथ शरीर को इंसुलिन का संचार नहीं करने देता है। इससे शरीर में शुगर के स्तर का बढ़ना होता है।
उच्च रक्तचाप: उच्च रक्तचाप डायबिटीज के विकारों का एक और मुख्य कारण है। इससे शरीर के अंगों में शर्करा का नियंत्रण कम हो जाता है और डायबिटीज के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।
गलत आहार और शराब: गलत आहार खाने से और शराब पीने से भी डायबिटीज हो सकता है। उचित मात्रा में प्रतिरक्षा तंत्र का काम शराब के अधिक सेवन से असंतुलित हो जाता है और डायबिटीज के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।
आनुवंशिकता: डायबिटीज का प्रभाव आनुवंशिक भी होता है। इसका मतलब है कि जब कोई व्यक्ति इस रोग से पीड़ित होता है, तो उनके बच्चों को भी इस रोग का खतरा होता है।
अन्य मेडिकल कंडीशंस: कुछ अन्य मेडिकल कंडीशंस जैसे कि थायरॉइड समस्याएं, पैंक्रिएटाइटिस, कुछ दवाओं का सेवन, आदि भी डायबिटीज के विकारों का कारण बन सकते हैं।
डायबिटीज को प्रबंधित करने के लिए कुछ घरेलू उपाय
– नीम: नीम में अनेक औषधीय गुण होते हैं जो शुगर के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। नीम के पत्तों को पानी में उबालकर पीने से शुगर के स्तर में कमी होती है।
– जामुन: जामुन में अधिक मात्रा में अंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन C, विटामिन A और बी कंप्लेक्स होता है जो शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। जामुन के पत्तों को पीसकर दिन में 2-3 बार खाने से शुगर के स्तर में कमी होती है।
– करेला: करेला में चर्बी के साथ शुगर के स्तर को कम करने के लिए कारगर गुण होते हैं। करेले को खाने से पहले या उसके रस को पीने से शुगर के स्तर में कमी होती है।
– मेथी दाने: मेथी दानों में शुगर के स्तर को कम करने के लिए अनेक औषधीय गुण होते हैं। मेथी दानों को रात भर पानी में भिगो दें और सुबह उस पानी को पीने से शुगर के स्तर में कमी होती है।
– नारियल पानी: नारियल पानी में शुगर को नियंत्रित करने के लिए उपयोगी वस्तुएं होती हैं। नारियल पानी में शर्करा नहीं होती है इसलिए यह शुगर के स्तर को नियंत्रित करता है।
– हल्दी: हल्दी अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण डायबिटीज को प्रबंधित करने में मदद करती है। एक गिलास दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर उसे उबालें और खाने से पहले पीएं।
– आमला: आमला शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। आमले को खाने से पहले या आमले का मुरब्बा खाने से शुगर के स्तर में कमी होती है।
मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए व्यवहारिक आदतें:
स्वस्थ आहार का पालन करें: फल, सब्जियां, पूरे अनाज, कम वसा वाले प्रोटीन और स्वस्थ वसा से भरपूर आहार का सेवन करें। सेवन से बचें जो ज्यादा तेल, नमक और शक्कर का हो।
नियमित रूप से व्यायाम करें: व्यायाम मधुमेह के ब्लड शुगर स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। हफ्ते में कम से कम 150 मिनट मामूली-उच्च-शक्ति वाले एरोबिक गतिविधियों का लक्ष्य रखें, या प्रतिदिन 30 मिनट, पांच दिनों के लिए।
ब्लड शुगर स्तरों का नियमित अवलोकन करें: नियमित रूप से अपने हेल्थकेयर प्रदाता के निर्देशों के अनुसार अपने ब्लड शुगर स्तरों का नियमित अवलोकन करें। यह मदद कर सकता है।
डॉ. के.एम.पारीक
होम्योपैथिक चिकित्सक
आदर्श नगर जयपुर
होम्योपैथिक उपचार रोगी के संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। और इससे किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं होता है। ध्यान रहे, किसी भी होम्योपैथिक उपाय को करने से पहले हमेशा होम्योपैथीक चिकित्सक से परामर्श लें.
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