जयपुर से दिल्ली:वंदे भारत ट्रेन के बारे में वह सब जानकारी जो आप जानना चाहते हैं
हाल ही में राजस्थान को पहली हाई स्पीड ट्रेन मिल गई। राजस्थान और देश की पहली ट्रेन जो सैटेलाइट से चलेगी, ने वंदे भारत ने बुधवार को जयपुर से दिल्ली का पहला सफर तय किया। ट्रेन सप्ताह में 6 दिन जयपुर, अलवर और गुड़गांव होते हुए राजस्थान के अजमेर और दिल्ली कैंट के बीच दौड़ेगी।
बुधवार को ट्रेन ने जयपुर से दिल्ली कैंट तक का 300 किलोमीटर का सफर 4 घंटे 50 मिनट में तय किया। पीएम नरेंद्र मोदी ने वर्चुअली उद्घाटन कार्यक्रम में सुबह ठीक 11.30 बजे ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर जयपुर से रवाना किया। दोपहर 4 बजकर 20 मिनट पर ट्रेन दिल्ली कैंट स्टेशन पर पहुंची।
खास विशेषताए – इस रेलसेवा में 12 वातानुकुलित चेयरकार, दो वातानुकुलित एक्जीक्यिूटिव चेयरकार और दो ड्राइविंग कार श्रेणी के डिब्बों सहित कुल 16 डिब्बे होंगे।इनमें से 2 एग्जीक्यूटिव कोच और 14 कोच नॉर्मल एसी चेयरकार है। 14 चेयरकार कोच में सीट 180 डिग्री तक ही बैक हो सकती है। वहीं 2 एग्जीक्यूटिव कोच की सीट 360 डिग्री तक घूम सकती है। ट्रेन में एक भी स्लीपर कोच नहीं है, लेकिन चेयरकार कोच में सीटों के 180 डिग्री तक फोल्ड होने के कारण आराम से नींद भी ले सकते हैं। पूरी ट्रेन में कुल 1128 यात्री बैठ सकते हैं। इनमें से 2 एग्जीक्यूटिव कोच और 14 कोच नॉर्मल एसी चेयरकार है। 14 चेयरकार कोच में सीट 180 डिग्री तक ही बैक हो सकती है। वहीं 2 एग्जीक्यूटिव कोच की सीट 360 डिग्री तक घूम सकती है। ट्रेन में एक भी स्लीपर कोच नहीं है, लेकिन चेयरकार कोच में सीटों के 180 डिग्री तक फोल्ड होने के कारण आराम से नींद भी ले सकते हैं। पूरी ट्रेन में कुल 1128 यात्री बैठ सकते हैं।
दावा है कि यह देश की सबसे सुरक्षित ट्रेन होगी क्योंकि ये सैटेलाइट से कंट्रोल होती है। सामने से कोई दूसरी ट्रेन आएगी तो सैटेलाइट से ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाएंगे। वहीं 180 किमी प्रति घंटे की स्पीड के साथ यह देश की सबसे तेज रफ्तार वाली ट्रेन है। हालांकि अभी इसे 110 किमी/ घंटे की स्पीड से चलाया जा रहा है।
देश में पहली बार टीसीएएस(TCAS)टेक्निक इस्तेमाल – जयपुर से दिल्ली तक चल रही वंदे भारत ट्रेन के इंजन में पहली बार ट्रेन कलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (टीसीएएस) टेक्निक काम में ली गई है। इसे ‘कवच ‘ नाम दिया गया है। टीसीएएस तकनीक सैटेलाइट से ऑपरेट होती है। इससे ट्रेनें कभी भी लाल सिग्नल पार नहीं करेगी। मेक इन इंडिया के तहत रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) ने इसे विकसित किया है। इस ट्रेन के सामने कोई ट्रेन आने और पायलट के कोहरे के कारण रेड सिग्नल नहीं देख पाने पर भी सैटेलाइट से रेडियो कम्युनिकेशन के माध्यम से ट्रेन के ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाएंगे।
कोच कनेक्टिंग डोर स्लाडर पैटर्न पर खुलते और बंद होते हैं, जो सेंसर्ड ऑपरेटिव है जैसा मेट्रो ट्रेन में होता है। एक बार रवाना होने के बाद इसके मेन गेट ट्रेन के पूरी तरह रुकने पर ही खुलेंगे। ट्रेन में जरा भी मूवमेंट हैं तो दरवाजे लॉक ही रहेंगे। ट्रेन की तकनीक और इसमें यूज किए गए सभी पाट्र्स मेड इन इंडिया हैं। दरवाजे और व्हील्स इंपोर्टेड हैं।
फ़ूड – मीनू और आइटम पैसेंजर्स की चॉइस पर रहेंगे। टिकट की बुकिंग में फ़ूड ऑर्डर की फेसिलिटी रहेगी।
टेम्प्रेचर – वंदे भारत के हर कोच में टेम्प्रेचर को कंट्रोल करने के लिए कंट्रोल बटन है, जो पैसेंजर सीट से थोड़ा दूर है। इस कंट्रोल बटन से पैसेंजर खुद एसी का टेम्प्रेचर बदल सकते हैं, हालांकि इसकी जरूरत नहीं पड़ती। हर कोच में 3 माइक्रोवेव ओवन जैसे हीट बॉक्स भी है , जहां पैसेंजर्स अपना खाना भी गर्म कर सकते हैं। इतना ही नहीं इसी के साथ एक बड़ा फ्रीजर भी मौजूद है, जहां पैसेंजर्स अपनी ड्रिंक को ठंडी भी कर पाएंगे। फ्रीजर और ओवन की मॉनिटरिंग पेंट्री स्टाफ के पास मौजूद।