मुंबई संवाददाता(सुनील गुप्ता): पिछले 10 सालों से सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर से 5 साल के लिए सत्ता में आई है लेकिन कुछ विधानसभा ऐसी है जिस पर उनका कब्जा होना असंभव सा प्रतीत होता है उन्हें विधानसभा में से एक है मुंबई की मलाड विधानसभा जिसमें पिछले 15 साल से कांग्रेस के असलम शेख का एक छत्र राज्य और इसको जीतने के प्रयास बीजेपी बारबार करती है लेकिन हर बार उसे मुंह की खानी पड़ी,2009 में भारतीय जनता पार्टी के आर यू सिंह 27945 वोटों से हार गए।
2014 में पार्टी के राम बारोट जैसे दिग्गज नेता को मात्र 2303 वोटों से हार का सामना करना पड़ा अगर स्थानीय कार्यकर्ताओं ने सही काम किया होता तो ये हार जीत में तब्दील हो सकती थी।
2019 में पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया पर मलाड में रमेश सिंह ठाकुर 10402 वोटो से असलम शेख के हाथों पराजित हुए।
अब अगर बेहतर परिणाम लाना है तो बीजेपी को बहुत आत्ममंथन की आवश्यकता है।
गोपाल शेट्टी जैसे दिग्गज नेता इस क्षेत्र में डटकर एड़ी चोटी का जोर लगाकर काम भी करते हैं और प्रचार भी करते हैं इस क्षेत्र के मजबूत कार्यकर्ता मुंबई के सचिव,प्रवक्ता विनोद शैलार जी घर घर जाकर लोगों से संपर्क करते हैं लोगों के काम करते हैं और जीतोड़ मेहनत भी करते हैं लेकिन फिर भी यह विधानसभा भाजपा से बहुत दूर है,और इस जीत से दूरी रहने का कारण है यहां के लोकल कार्यकर्ता और पदाधिकारी जो की मलाईदार कामों में ही लगे रहते हैं,उन्हीं को करने में रुचि दिखाते हैं बाकी कार्यों को वह अपने छोटे कार्यकर्ताओं पर छोड़ देते हैं ऑफिस में बैठकर केवल आदेश जारी करना यह यहां के लोकल जो पदाधिकारी है उनका काम करने का तरीका बन गया है ना तो लोगों तक जाते हैं ना पहुंच बनाते हैं विनोद शेलार अकेले कितना कार्य करेंगे,
एक और यहां लोगों के दिलों में जगह ना बना पाने का मुख्य कारण है दूसरी पार्टियों से आए कार्यकर्ताओं पदाधिकारी को ज्यादा तरजीह देना
कुछ पदाधिकारी ऐसे भी है,जो दूसरी पार्टियों से आकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और उनका ओहदा और सम्मान ज्यादा है और यहां के जो लोकल कार्यकर्ता है जो पिछले 8–10 सालों से भारतीय जनता पार्टी के लिए कार्य करते आ रहे हैं उनकी अनदेखी की जाती है और जो दूसरी पार्टियों से आए पदाधिकारी है उनको बहुत मान सम्मान दिया जाता है,यह भी यहां की हार का मुख्य कारण है, यहां के जो ज्यादा अच्छे कार्यकरता है जो काम कर सकते हैं उनको दरकिनार करके उनसे कम काम करने अपरिपक्व कार्यकर्ताओं को उनके सर पर बैठा दिया जाता है तो उन कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटता है और वह कार्य करने में अपनी रुचि नहीं दिखा पाते हैं। बर्ड 49 वार्ड 48 ये 2 वार्ड ऐसे हैं जहां पर मुस्लिम बहतायत में है लेकिन हिंदू भी काम नहीं है लेकिन हिंदुओं का वोट परसेंटेज कम रहने का कारण यहां के जो पदाधिकारी है जो की केवल मलाई वाले कामों पर फोकस करते हैं और बाकी कार्य अपने से छोटे पदाधिकारी को सौंप कर चैन की नींद सो जाती है वो हैं।
अभी एमएससी के चुनाव हुए उसमें भी यही हुआ,अगर सभी कार्यकर्ता सक्रिय होते तो इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के हार नहीं होती लेकिन दो तीन चार कार्यकर्ताओं ने हीं कार्य किया बाकी पदाधिकारियों तक कोई सूचना ही नहीं थी,वाट्सअप पर मैसेज डाल कर उनको लगता है उन्होंने अपना काम कर दिया।बंदर बांट में। उनको ना शामिल करना पड़े इसलिए उन तक यह खबर पहुंचाई ही नहीं गई, और एक अच्छा प्रत्याशी भारतीय जनता पार्टी का हार गया। बंदर बांट का खेल ही भारतीय जनता पार्टी की हार का कारण है और अगर उच्च पदाधिकारियों ने इसका संज्ञान नहीं लिया तो अगले 10 साल 20 साल तक भारतीय जनता पार्टी का इस मलाड विधानसभा से जीतना नामुमकिन सा प्रतीत होता है।