महाराष्ट्र में अतिक्रमण करने पर मुफ्त आवास मिलता है’, राज्य सरकार पर अदालत की सख्त टिप्पणी
रिपोर्ट :सुनील गुप्ता

मुंबई (सुनील गुप्ता ): बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को महाराष्ट्र में बढ़ रहे अतिक्रमण को लेकर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र देश का अकेला ऐसा राज्य है जहां अतिक्रमण करने वालों को मुफ्त आवास का लाभ दिया जाता है। लगातार हो रहे अवैध निर्माण ने सामूहिक आवास की समस्या को अधिक पेचीदा बना दिया है।
30 जुलाई 2024 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र स्लम क्षेत्र अधिनियम 1971 की समीक्षा के संबंध में स्वत: संज्ञान के आधार पर एक याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनवाई की। न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और अद्वैत सेठना की खंडपीठ ने कहा कि सरकार की अद्भुत नीति के चलते देश में हम एकमात्र ऐसे राज्य हैं जहां अतिक्रमण करने के बाद मुफ्त आवास का लाभ दिया जाता है। हमने पिछले फैसले में पूछा था कि क्या यह स्वीकार्य है? क्या यह एक सांविधानिक नीति है, जिसे संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त है?
अदालत ने कहा कि धीरे-धीरे मैंग्रोव खत्म हो गए और झुग्गियां बन गईं। फिर इन झुग्गियों को पुनर्विकास और लाभों के लिए नियमित झुग्गियां घोषित कर दिया जाता है। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील डेरियस खंबाटा ने कहा कि किसी को भी अतिक्रमण करने और अवैध कब्जा करने का अधिकार नहीं है। भले ही आर्थिक वास्तविकताएं किफायती आवास की कमी के कारण प्रवासियों को अवैध बस्तियों में रहने के लिए मजबूर करती हैं।
उच्च न्यायालय ने यह भी आशंका जताई कि अनियंत्रित पुनर्विकास से असहनीय शहरी वातावरण बन जाएगा। कोर्ट ने मुंबई में घटती हरित जगहों और खेल सुविधाओं के बारे में भी चिंता जताई। मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी।