
वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को भारत सरकार ने वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता, जवाबदेही और समावेशिता लाने के उद्देश्य से पेश किया था। यह विधेयक मूल रूप से वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन करता है, जिसे समय के साथ अपर्याप्त और विवादास्पद माना जा रहा था। लंबी संसदीय बहस और चर्चा के बाद, यह विधेयक लोकसभा और राज्यसभा से पारित हुआ और 5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे मंजूरी दे दी, जिसके बाद यह अब कानून बन गया है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक अब वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के रूप में लागू हो गया है। केंद्र सरकार ने इसे लागू करने के लिए एक कार्यान्वयन समिति गठित करने की घोषणा की है, जो 90 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी। इस बीच, विपक्षी दलों ने इसे “काला दिन” करार देते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं।
प्रमुख प्रावधान
1. संपत्ति सत्यापन और डिजिटलीकरण:
– अब कोई भी संपत्ति बिना उचित जांच और दस्तावेजी सत्यापन के वक्फ संपत्ति घोषित नहीं की जा सकेगी।
– सभी वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड बनाना अनिवार्य होगा, जिससे उनकी स्थिति और उपयोग की पारदर्शी जानकारी उपलब्ध होगी।
2. वक्फ बोर्ड में समावेशिता:
– राज्य वक्फ बोर्डों में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्य और दो महिला सदस्यों को शामिल करना अनिवार्य किया गया है।
– केंद्रीय वक्फ परिषद में भी गैर-मुस्लिम और महिला प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है।
3. अतिक्रमण पर सख्ती:
– वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण को आपराधिक अपराध माना जाएगा, जिसमें जुर्माना और सजा का प्रावधान है।
– अतिक्रमण हटाने के लिए तेजी से कार्रवाई की व्यवस्था की गई है।
4. महिलाओं और बच्चों के अधिकार:
– वक्फ संपत्तियों से होने वाली आय में महिलाओं और बच्चों के हितों की रक्षा के लिए विशेष प्रावधान जोड़े गए हैं।
– वक्फ संपत्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त निगरानी का प्रावधान है।
5. न्यायिक समीक्षा:
– वक्फ बोर्ड के फैसलों को अदालतों में चुनौती दी जा सकेगी, जिससे मनमानी पर रोक लगेगी।
– इसके लिए समयबद्ध सुनवाई की व्यवस्था की गई है।
उद्देश्य
पारदर्शिता: वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की शिकायतों को दूर करना।
सुशासन: वक्फ बोर्डों को अधिक जवाबदेह और समावेशी बनाना।
सामाजिक न्याय: अल्पसंख्यक समुदाय, खासकर महिलाओं और गरीबों, को वक्फ संपत्तियों का लाभ सुनिश्चित करना।
विवाद और प्रतिक्रियाएं
समर्थन
– सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके सहयोगियों ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया है। उनका कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों को “कुछ लोगों के कब्जे” से मुक्त करेगा और इसका लाभ समाज के व्यापक वर्ग को मिलेगा।
– कई सामाजिक संगठनों ने भी इसे पारदर्शिता की दिशा में कदम माना है।
विरोध
– कांग्रेस, AIMIM, और अन्य विपक्षी दलों ने इसे “मुस्लिम विरोधी” करार दिया है। उनका तर्क है कि यह विधेयक धार्मिक स्वायत्तता में हस्तक्षेप करता है।
– ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की है। उनका कहना है कि गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना वक्फ की मूल भावना के खिलाफ है।
– कुछ नेताओं ने इसे “संघ परिवार के एजेंडे” का हिस्सा बताया और देशव्यापी विरोध की चेतावनी दी है।
प्रभाव
कानूनी: यह कानून लागू होने के बाद वक्फ संपत्तियों से जुड़े पुराने विवादों की समीक्षा शुरू हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट में इसकी वैधता को चुनौती देने की तैयारी से लंबी कानूनी लड़ाई की संभावना है।
सामाजिक: मुस्लिम समुदाय के बीच इसे लेकर असंतोष बढ़ सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां वक्फ संपत्तियां सामुदायिक विकास का आधार हैं।
प्रशासनिक: वक्फ बोर्डों को नए नियमों के तहत काम करने के लिए प्रशिक्षण और संसाधनों की जरूरत होगी।