28th April 2025

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मुरादनगर : बसपा नगराध्यक्ष ने दर्जनों रैपिड रेल पिलरो पर लगवाएं अवैध पोस्टर

रिपोर्ट : हैदर खान

दिल्ली से लेकर मेरठ तक लगभग 30 हजार करोड़ की लागत से बन चुकी रीजनल रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) एक लाजवाब विकास की नज़ीर बन चुका है। इस रेल को “नमो भारत” नाम भी दिया गया, जो भारत के विकास और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। इसकी आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2019 को रखी थी। जो आज देश के परिवहन ढांचे में एक मील का पत्थर साबित हुई है। मगर इस विकास की तेज रफ्तार ट्रेन के पिलरों पर राजनेताओं ने खुदका कब्जा समझ कर अपने पोस्टर लगाने शुरू कर दिए है। जी हां, मामला गाजियाबाद के मुरादनगर रैपिड रेल स्टेशन के पास का है जहां लगभग पिलर नंबर 873 से लेकर 930 के बीच में दर्जनो अवैध पोस्टर रैपिड रेल के पिलरों पर लगाए गए है। ये पोस्टर मुरादनगर बसपा नगराध्यक्ष सलीम मलिक द्वारा लगवाए गए है। जिसमें एक बड़ा होर्डिंग बसपा नगराध्यक्ष सलीम मलिक का रैपिड रेल मुरादनगर स्टेशन के बिल्कुल नीचे लगाए हुए है। इससे पहले भी काफी संगठनो द्वारा इन पिलरों पर पोस्टर लगाए गए है मगर इस समय रैपिड रेल मुरादनगर के अमूमन सभी पिलरों पर बसपा नगराध्यक्ष का सीधा सीधा कब्जा नजर आ रहा है।

वही बात करे इन पोस्टरो को लगाने की अनुमति और नीतियां राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) या संबंधित स्थानीय प्रशासन द्वारा निर्धारित की जाती हैं। सामान्य तौर पर, ऐसी सार्वजनिक परिवहन परियोजनाओं के ढांचे, जैसे पिलर, स्टेशन या अन्य संरचनाएं, सौंदर्य, सुरक्षा और रखरखाव के दृष्टिकोण से सख्त नियमों के अधीन होती हैं।

संभावित नियम और प्रतिबंध

1. सौंदर्य और स्वच्छता: एनसीआरटीसी और सरकार का उद्देश्य रैपिड रेल को एक आधुनिक और स्वच्छ परिवहन प्रणाली के रूप में प्रस्तुत करना है। पिलरों पर अनधिकृत पोस्टर या विज्ञापन लगाने से परियोजना की सौंदर्य अपील कम हो सकती है, जिसे आमतौर पर रोका जाता है।

2. सुरक्षा: पिलर संरचनात्मक रूप से महत्वपूर्ण होते हैं। इन पर कुछ भी चिपकाने या बदलाव करने से उनकी अखंडता पर असर पड़ सकता है या रखरखाव में बाधा उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा, अवैध पोस्टर लगाने से सफाई कर्मचारियों या रखरखाव टीम के लिए खतरा हो सकता है।

3. कानूनी प्रावधान: सार्वजनिक संपत्ति पर पोस्टर लगाना भारत में कई जगहों पर प्रतिबंधित है, जब तक कि इसके लिए स्पष्ट अनुमति न ली जाए। उदाहरण के लिए, दिल्ली में “दिल्ली प्रिवेंशन ऑफ डिफेसमेंट ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट, 2007” जैसे कानून सार्वजनिक ढांचों को नुकसान पहुंचाने या उन पर अनधिकृत सामग्री लगाने पर रोक लगाते हैं।

4. विज्ञापन के लिए नीति: अगर पोस्टर विज्ञापन के उद्देश्य से हैं, तो एनसीआरटीसी के पास इसके लिए एक औपचारिक प्रक्रिया हो सकती है। कई मेट्रो और रेल परियोजनाओं में विज्ञापन के लिए विशेष स्थान आवंटित किए जाते हैं, जैसे स्टेशन के अंदर या बाहर, लेकिन पिलरों पर यह आमतौर पर प्रतिबंधित होता है, जब तक कि कोई विशेष डिज़ाइन या योजना न हो।

बिना अनुमति के रीजनल रैपिड रेल के पिलरों पर पोस्टर लगाना संभवतः अवैध और प्रतिबंधित है। यदि आप ऐसा करना चाहते हैं, तो आपको पहले एनसीआरटीसी या संबंधित प्राधिकरण से औपचारिक अनुमति लेनी होगी। यह सुनिश्चित करेगा कि नियमों का पालन हो और परियोजना की गरिमा व सुरक्षा बनी रहे। सटीक जानकारी के लिए आप एनसीआरटीसी की आधिकारिक वेबसाइट (ncrtc.in) पर जाकर या उनके कार्यालय से संपर्क करके नवीनतम दिशानिर्देश प्राप्त कर सकते हैं।

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