23rd March 2025

उत्तर प्रदेश

मुरादनगर : कब्रिस्तान की 3 बीघा जमीन गायब, कब्रिस्तान नही पहुंच पा रहे तहसील कर्मचारी

रिपोर्ट : अबशार उलहक

कोई गुमशुदा हो जाए तो उसकी रिपोर्ट पर तुरंत काम करती है यूपी पुलिस मगर यहां तो 3 बीघा जमीन ही लापता है जिसकी रिपोर्ट शासन-प्रशासन के पास होते हुए भी कोई भी एक्शन नही लिया जा रहा। लोग जमीन ढूंढने के लिए हफ्तों से रोज इकट्टा होते है तहसील के कर्मचारी का इंतजार करते है और चले जाते है। इस वक्त शहर का सबसे चर्चित मामला है रावली रोड स्थित मुस्लिम समाज के छह बिरादरी के लोगों के कब्रिस्तान की 6 बीघा से अधिक जमीन में से तीन बीघा जमीन गायब होने का है, इसको लेकर लोगों में रोष व्याप्त है। इसकी शिकायत डीएम गाजियाबाद से भी की गई लेकिन अभी तक तहसील के कर्मचारी कब्रिस्तान की पैमाइश करने को तैयार नहीं है। लोग तहसील के कर्मचारियों पर भूमाफियाओं से मिली भगत का आरोप लगा रहे हैं। पूर्व सभासद विजय पाल हितकारी ने कब्रिस्तान कमेटी से जुड़े लोगों के बीच पहुंचकर उनका मामला उच्च अधिकारियों के सामने उठाने की मांग की है। पूर्व सभासद विजयपाल हितकारी ने बताया कि रावली रोड स्थित काब्रिस्तान की भूमि पर कुछ लोग जबरदस्ती कब्जा कर रहे है । उन्होने बताया कि मुस्लिम समाज के छह बिरादरी के लोगों का कब्रिस्तान है जिसका खसरा नम्बर 380, 381 व 382 तहसील के भूआलेख में कब्रिस्तान के तौर पर दर्ज है। छह बीघा से अधिक जमीन कागजों में कब्रिस्तान की दर्ज होने के बावजूद भी मौके पर मात्र तीन बीघा जमीन ही दिखाई दे रही है। आखिरी बाकी जमीन कहां गई, इसको लेकर लोगों में रोष व्याप्त है और लगातार लोग तहसील के अधिकारियों से जमीन की पैमाइश कराने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि आखिर तहसील के कर्मचारी और अधिकारी इस और ध्यान क्यों नहीं दे रहे और कब्रिस्तान की जमीन की पैमाइश क्यों नहीं की जा रही । पूर्व सभासद विजय पाल हितकारी ने भी प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पूरे प्रकरण में हस्तापेक्ष की मांग की है। कब्रिस्तान एकता कमेटी के सदस्यों ने इस संबंध में जिलाधिकारी को पत्र लिखकर कब्रिस्तान की पैमाइश करने की मांग की थी। जिस पर डीएम ने एसडीएम मोदीनगर को जांच कर पैमाइश करने के लिए कहा था। लेकिन अभी तक कब्रिस्तान की जमीन की पैमाइश तक नहीं कराई गई । हल्का पटवारी लगातार समय देकर नहीं पहुंचाते है जो पैमाइश करने से बच रहा है इससे साफ जाहिर है कि कहीं ना कहीं पटवारी की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।

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