3rd December 2024

देश

हनुमान जयंती या जन्मोत्सव क्या कहना होगा सही;विशेष जानकारी

हनुम इस लेख को पढ़ने से दूर होगा आपका संशय, क्या दोनों एक ही है या दोनों में अंतर है और इन दोनों में क्या कहना सही होगा?

हनुमान जयंती यानी बजरंग बली का जन्‍मोत्‍सव चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार हनुमान जयंती 6 अप्रैल को मनाई जाएगी। पौराणिक मान्‍यताओं के हनुमानजी को रुद्रावतार यानी कि भगवान शिव का अवतार माना जाता है और उनका जन्‍म चैत्र मास की पूर्णिमा को मंगलवार के दिन हुआ था। इसलिए मंगलवार का दिन बजरंगबली को समर्पित माना जाता है और इस दिन व्रत करने और उनकी पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्‍त होती है। हनुमान जयंती के अवसर पर भक्‍त व्रत करते हैं और विधि विधान से उनकी पूजा करके व्रत को पूर्ण करते हैं। इस दिन देश भर के मंदिरों में जगह-जगह भंडारे आयोजित होते हैं और कई तरह के उपाय और अनुष्‍ठान करवाए जाते हैं।

इस पावन अवसर पर पंडित सुरेन्द्र शर्मा (सोनू ),सांगानेर ,जयपुर आपको बता रहे हैं हनुमान जयंती पर कुछ विशेष जानकारी हनुमान जयंती या जन्मोत्सव क्या कहना होगा सही? पंचाग के अनुसार, हनुमान जयंती 6 अप्रैल को मनाई जाएगी। दरअसल चैत्र पूर्णिमा की तिथि 5 अप्रैल बुधवार को सुबह 9 बजकर 19 मिनट पर आरंभ होगी और इसका समापन गुरुवार 6 अप्रैल को 10 बजकर 4 मिनट पर होगा। इसलिए उदया तिथि की मान्‍यता के अनुसार हनुमान जयंती 6 अप्रैल को ही मनाई जाएगी और इसी दिन व्रत रखकर बजरंगबली की पूजा की जाएगी।

केसे करें हनुमान जी की पूजा

हनुमानजी की पूजा करने के लिए बजरंगबली को लाल पुष्प, सिंदूर, अक्षत्, पान का बीड़ा, मोतीचूर के लड्डू, लाल लंगोट और तुलसी दल अर्पित करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमानजी की फिर आरती करें। हनुमानजी को भोग के रूप में लड्डू, हलवा औा केला चढ़ाएं। इस दिन सुंदर कांड और बजरंग बाण का पाठ करने का भी विशेष महत्‍व माना जाता है। ऐसा करने से बजरंगबली प्रसन्‍न होते हैं और हमारे आस-पास से हर प्रकार की नकारात्‍मक शक्तियां दूर होती हैं।

श्रीरामचंद्र के परम भक्त राजाधिराज हनुमान जी महाराज की जयंती हर साल सनातन पंचांग के अनुसार चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। चैत्र के अलावा कार्तिक माह के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को भी हनुमान जयंती होती है। इस वर्ष 6 अप्रैल 2023 को हनुमान जयंती रहेगी। इस पर्व को हिन्दू धर्म के सभी लोग उत्साह के साथ मनाएंगे। हनुमान जयंती का दिन सनातन को मनाने वालों के लिए बेहद खास होता है। इस देश में कुछ हनुमान जयंती को हनुमान जन्मोत्सव भी कहते हैं। क्या दोनों एक ही है या दोनों में अंतर है और इन दोनों में क्या कहना सही होगा। इसे लेकर लोग कंफ्यूज रहते हैं। आइये जानते हैं सही क्या है।
1 – कुछ लोग हनुमान जयंती कहते हैं। हिन्दू पंचांग और कैलेंडर में भी हनुमान जयंती ही लिखा होता है। अब जयंती कहा जाए या जन्मोत्सव सबके अपने-अपने मत हैं। लेकिन जानकारों का मानना है कि हनुमान जी के जन्मदिन को जयंती नहीं बल्कि जन्मोत्सव कहा जाना उचित होगा। दरअसल जयंती और जन्मोत्सव का अर्थ भले ही जन्मदिन से होता है। लेकिन जयंती का प्रयोग ऐसे व्यक्ति के लिए किया जाता है, जो संसार में जीवित नहीं है और किसी विशेष तिथि में उसका जन्मदिन है। लेकिन जब बात हो भगवान हनुमान की तो इन्हें कलयुग संसार का जीवित या जागृत देवता माना गया है। हनुमान आठ चिरंजीवी में से एक हैं। उन्हें अमर होने का वरदान प्राप्त है। कहा जाता है कि भगवान राम से अमर होने का वरदान पाने के बाद हनुमान जी ने गंधमादन पर्वत पर निवास बनाया और इसी स्थान में कलयुग में धर्म के रक्षक के रूप में हनुमान जी निवास करते हैं। इसलिए हनुमान जी के जन्मदिन की तिथि को जयंती के बजाय जन्मोत्सव कहना उचित होगा। जब कोई अमर होता है तो उसके साथ जयंती शब्द प्रयुक्त नहीं करना चाहिए

2 – जयंती बोलना भी गलत नही – प्रमाण

हनुमान मणि पेज 27

इसलिए जयंती और जन्मोत्सव दोनों बोलना गलत नही है.

निवेदन- इस लेख में दी गई जानकारी/ सामग्री/ गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की पूर्ण गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ धार्मिक मान्यताओं/ धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close