
गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश में पुलिस प्रशासन में एक बड़े फेरबदल के तहत गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा की हुई जिला गाजियाबाद से विदाई है। उनकी जगह 2005 बैच के आईपीएस अधिकारी जे. रविंद्र ई को गाजियाबाद का नया पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया है। यह तबादला मंगलवार, 15 अप्रैल 2025 की देर रात उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए गए 11 आईपीएस अधिकारियों के ट्रांसफर का हिस्सा है। इस नेतृत्व परिवर्तन के पीछे स्थानीय विधायक नंद किशोर गुर्जर की नाराजगी को प्रमुख वजह माना जा रहा है। गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर के रूप में अजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल चर्चा में रहा। 2003 बैच के इस आईपीएस अधिकारी को 2022 में गाजियाबाद का पहला पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया था, जब गाजियाबाद को कमिश्नरेट का दर्जा दिया गया। मिश्रा को उनकी कठोर कार्यशैली और अपराध नियंत्रण के प्रयासों के लिए जाना जाता था, लेकिन हाल के महीनों में उनके और लोनी से भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर के बीच तनाव बढ़ गया था।
नंद किशोर गुर्जर ने मिश्रा पर स्थानीय लोगों के उत्पीड़न और प्रशासनिक मनमानी के आरोप लगाए थे। विधायक ने इस मुद्दे को लखनऊ तक पहुंचाया और कई बार सार्वजनिक रूप से पुलिस प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया। सूत्रों के अनुसार, गुर्जर की लगातार शिकायतों और दबाव के चलते सरकार ने अजय मिश्रा को हटाने का फैसला लिया। हालांकि, मिश्रा को सम्मानजनक विदाई देते हुए उन्हें प्रयागराज रेंज का पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) नियुक्त किया गया है।
जे. रविंद्र गौड़: नए कमिश्नर
जे. रविंद्र गौड़, जो इससे पहले आगरा के पुलिस कमिश्नर के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं, अब गाजियाबाद की कमान संभालेंगे। उनके लिए यह नियुक्ति एक पुरस्कार के रूप में देखी जा रही है, क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में गाजियाबाद की पोस्टिंग को प्रतिष्ठित माना जाता है। गौड़ उत्तर प्रदेश में पहले ऐसे पुलिस कमिश्नर हैं, जिन्हें एक से अधिक जिले में पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी दी गई है। उनकी नियुक्ति से गाजियाबाद में अपराध नियंत्रण और प्रशासनिक सुधार की नई उम्मीदें जगी हैं।
विधायक की नाराजगी और राजनीतिक प्रभाव
नंद किशोर गुर्जर और अजय मिश्रा के बीच टकराव गाजियाबाद में लंबे समय से सुर्खियों में था। विधायक ने पुलिस पर स्थानीय लोगों के प्रति असंवेदनशीलता और पक्षपात का आरोप लगाया था। उनके प्रदर्शनों और शिकायतों ने सरकार पर दबाव बढ़ाया, जिसके परिणामस्वरूप यह तबादला हुआ। यह घटना यह भी दर्शाती है कि उत्तर प्रदेश में स्थानीय नेताओं और प्रशासन के बीच तालमेल की कमी कई बार बड़े प्रशासनिक बदलावों का कारण बन सकती है।
इस फेरबदल के तहत कुल 11 आईपीएस अधिकारियों के तबादले किए गए हैं, यह तबादला सूची योगी आदित्यनाथ सरकार की उस रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है, जिसके तहत प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने और स्थानीय स्तर पर उत्पन्न विवादों को सुलझाने के लिए समय-समय पर बड़े बदलाव किए जाते हैं।