
गुरुग्राम/नई दिल्ली:जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए नेवी के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की शहादत ने उनके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है। विनय की शादी महज 16 अप्रैल को गुरुग्राम की हिमांशी से हुई थी, और अब मात्र 15 दिनों में ही हिमांशी का संसार उजड़ गया। पूरे परिवार पर मातम छाया है और घर में रोने-बिलखने की आवाजें हर कोने से सुनाई दे रही हैं।
“क्या करूं, नियति को शायद यही मंजूर था”
विनय की पत्नी हिमांशी की दादी का दर्द शब्दों में बयां नहीं हो सकता। वह रो-रोकर यही कहती रहीं, “क्या करूं, नियति को शायद यही मंजूर था, अब मेरी पोती का क्या होगा?” घर के अन्य सदस्य भी उन्हें ढांढस बंधाने की कोशिश में टूटे जा रहे थे।
परिवार के मुताबिक, जनवरी में विनय और हिमांशी का रिश्ता तय हुआ था, फिर छह अप्रैल को सगाई और 16 अप्रैल को धूमधाम से विवाह संपन्न हुआ। लेकिन एक सप्ताह बाद ही आतंक ने उनकी दुनिया छीन ली। हिमांशी के हाथों की मेहंदी अभी उतरी भी नहीं थी, कि विधवा का सूनापन उसकी कलाईयों से झलकने लगा।
“शौक से पहना था सुहाग चूड़ा, अब सूनीं हो गईं कलाइयां”
हिमांशी की बुआ बबीता ने बताया कि शादी से पहले हिमांशी ने बड़ी खुशी से सुहाग का चूड़ा पहना था। अब वही चूड़ा उतर गया है और कलाइयां सूनी हो गई हैं। बबीता ने रोते हुए कहा कि विनय और हिमांशी के पिता पुराने दोस्त थे और इस रिश्ते से दोनों परिवार बेहद खुश थे। शादी के बाद 20 अप्रैल को विनय पहली बार गुरुग्राम आया था और अगले ही दिन दोनों कश्मीर घूमने निकल गए थे।
“हम भेलपुरी खा रहे थे, एक आदमी आया और गोली मार दी”
हमले का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें बेसुध हिमांशी कहती दिख रही हैं, “हम भेलपुरी खा रहे थे, एक आदमी आया और बोला ये मुस्लिम नहीं है, फिर गोली मार दी।” इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है।
दिल्ली में अंतिम संस्कार के समय हिमांशी ने पति के पार्थिव शरीर को सैल्यूट किया और रोते हुए कहा, “मुझे तुम पर गर्व है।” यह दृश्य हर किसी की आंखों को नम कर गया।
सदमे में पूरा परिवार, मिठाई के डब्बे रह गए अधूरे
विनय के गुरुग्राम स्थित ससुराल में शादी की मिठाइयों की मिठास अब केवल एक कड़वी याद बनकर रह गई है। जिस घर में चंद दिनों पहले शादी का जश्न मनाया गया था, वहां अब सन्नाटा पसरा है। सेक्टर-7 स्थित घर में विनय के दादा और पिता ने इकलौते बेटे की शादी पर जो खुशियां मनाई थीं, वे अब मातम में बदल चुकी हैं।
राष्ट्रीय शोक की भावना, न्याय की उम्मीद
इस हमले के बाद न केवल विनय का परिवार, बल्कि पूरा देश स्तब्ध है। हिमांशी की हालत ऐसी है कि वह बार-बार बेहोश हो रही हैं। उनके दर्द को शब्दों में पिरोना मुश्किल है। परिवार ने केंद्र सरकार से अपील की है कि आतंकियों को जल्द से जल्द सजा दी जाए, ताकि शहीद विनय को सच्ची श्रद्धांजलि मिल सके।
इस घटना ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन उसका शिकार हमेशा निर्दोष और अमन पसंद लोग ही होते हैं। शहीद विनय नरवाल की शहादत को देश हमेशा याद रखेगा।