यूपी के 2008 और 2010 बैच के पीसीएस अफसरों को आईएएस संवर्ग में प्रमोशन
Published by धर्मेंद्र शर्मा
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के वर्ष 2008 और 2010 बैच के पीसीएस अधिकारियों को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) संवर्ग में पदोन्नति देने के लिए दिल्ली में विभागीय प्रोन्नति कमेटी (डीपीसी) की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के अलावा प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव एसपी गोयल, प्रमुख सचिव नियुक्ति एम. देवराज और विशेष सचिव नियुक्ति विजय कुमार भी उपस्थित रहे।
27 पीसीएस अधिकारियों का प्रमोशन तय
सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में कुल 27 रिक्त पदों पर पीसीएस अधिकारियों का आईएएस संवर्ग में प्रमोशन होगा। वर्ष 2008 बैच के सभी पीसीएस अधिकारियों के साथ 2010 बैच के कुछ अधिकारियों को भी पदोन्नति मिलने की संभावना है, बशर्ते उनके खिलाफ किसी प्रकार की जांच लंबित न हो। अगले दो-तीन दिनों में इस संबंध में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
केंद्र सरकार ने होमगार्ड विभाग को दिए 236 करोड़ रुपये
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने होमगार्ड विभाग को 236.31 करोड़ रुपये की राशि जारी की है। यह फंड होमगार्ड स्वयंसेवकों के ड्यूटी भत्ते, प्रशिक्षण, अधिकारियों एवं कर्मचारियों के वेतन, वर्दी आदि खर्चों की प्रतिपूर्ति के लिए दिया गया है। इसमें लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान होमगार्ड स्वयंसेवकों के ड्यूटी भत्ते, पेट्रोल और यात्रा व्यय की 50% प्रतिपूर्ति भी शामिल है।
डीजी होमगार्ड बीके मौर्या के अनुसार, यह राशि वर्ष 2011 से 2021 तक लंबित थी, जिसे अब स्वीकृत कर दिया गया है। विभाग इस प्रतिपूर्ति के लिए लगातार प्रयास कर रहा था, जिसके फलस्वरूप यह फंड प्राप्त हुआ है।
बिजली कर्मियों का निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन, 9 अप्रैल को लखनऊ में रैली
लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा बिजली के निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। मंगलवार को प्रदेश के विभिन्न जिलों में बिजली कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। संघर्ष समिति ने घोषणा की कि 9 अप्रैल को लखनऊ में राज्यभर से बिजली कर्मी एकत्र होकर रैली करेंगे।
विरोध प्रदर्शन के दौरान समिति के पदाधिकारियों ने सरकार से सवाल किया कि जब बिजली व्यवस्था में सुधार हो रहा है, तो निजीकरण की जरूरत क्यों पड़ी? उनका दावा है कि 2017 में एटी एंड सी हानियां 40% थीं, जो 31 मार्च 2024 तक घटकर 16.5% हो गई हैं, जबकि राष्ट्रीय मानक 15% निर्धारित है।