मुंबई (सुनील कुमार गुप्ता) : यदि मुंबईकरों पर कुछ हजार रुपये बकाया रह जाए, तो बीएमसी उसके खिलाफ कार्रवाई करने दल-बल के साथ पहुंच जाती है। लेकिन वर्ष 2002 से 31 मई 2024 तक सरकार ने बीएमसी का 9,674 करोड़ रुपये बकाया नहीं जमा किया है। इनके खिलाफ बीएमसी सिर्फ पत्राचार कर खानापूर्ति कर रही है। बीएमसी के बकाएदारों में सरकार के 26 विभाग शामिल हैं। इनमें सर्वाधिक 1,813 करोड़ रुपये नगर विकास विभाग पर बकाया है। जबकि 6,581 करोड़ रुपये शिक्षा का अनुदान मिलना बाकी है। बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि मार्च 2020 से 30 जून 2022 के दौरान कोरोना से निपटने में जो खर्च किया गया है, उसी के तहत 1,942 करोड़ रुपये जिलाधिकारी (शहर और उपनगर) और 1,958 करोड़ रुपये की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार के एसडीआरएफ डिपार्टमेंट से बीएमसी को मिलना बाकी है।
वर्ष 2024-25 के बजट में बीएमसी कमिश्नर ने सरकार से कहा था कि मुंबई में बड़े पैमाने पर विकास योजनाओं का काम चल रहा है, जिसके लिए बड़े पैमाने पर निधि की जरूरत है। बीएमसी इन पैसों की वसूली के लिए सरकार के विभिन्न विभागों से पत्रों के माध्यम से संपर्क में है, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।
इन विभागों पर बकाया
बता दें कि ऑक्ट्रॉय बंद होने और 500 वर्ग फुट के घरों की प्रॉपर्टी टैक्स में छूट के बाद बीएमसी की आय के स्रोत सीमित हो गए हैं। बीएमसी की आय के प्रमुख स्रोतों में नागरिकों की मूलभूत सुविधाओं के बदले मिलने वाला शुल्क है। बीएमसी यह सुविधा सरकारी कार्यालयों और मंत्रियों के बंगलों को भी उपलब्ध कराती है। बीएमसी का सरकार पर सिविल सुविधा टैक्स, स्वास्थ्य सुविधा कर, सरकार के विभिन्न ऑफिस द्वारा सहायता अनुदान, प्रॉपर्टी टैक्स, शिक्षा विभाग द्वारा सहायता अनुदान बकाया है
बकाएदारों में गृह विभाग से लेकर वित्त विभाग तक शामिल
बीएमसी मुंबई में रहने वाले नागरिकों को सिविक सुविधा उपलब्ध कराती है। इसमें सरकारी आवास से लेकर कार्यालय तक शामिल है। बीएमसी के बकायेदारों में नगर विकास विभाग, गृह निर्माण विभाग सहित सबको धन आवंटित करने वाला वित्त विभाग भी शामिल है। बीएमसी सरकार के विभिन्न विभागों से पर्यावरण संरक्षण, पानी, सफाई, आवारा कुत्ते, खतरनाक इमारतों को हटाने, सरकारी जमीन पर बनी स्लम में नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराने और उपकार इमारतों की मरम्मत सहित अन्य सुविधाओं के बदले शुल्क वसूल करती है। इसमें राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा सहायता अनुदान के रूप में 6,581 करोड़ रुपये शामिल हैं। गृह निर्माण विभाग पर 807 करोड़, नगर विकास विभाग पर 1,813 करोड़, गृह विभाग पर 185 करोड़, सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग पर 137 करोड़ सहित कुल 26 विभागों पर 9,674 करोड़ रुपये बकाया हैं।