मुरादनगर : 5 घंटे चला फर्जी ऑपरेशन, ई-रिक्शा चालक से ऐंठे हजारों रूपए
रिपोर्ट: अबशार उलहक
गाजियाबाद में स्वास्थ्य विभाग जिस तरह से जमीनी स्तर से ही बेहतरीन कार्य कर लोगों की सेवा कर रहा है वही दूसरी तरफ प्राइवेट अस्पतालो ने मरीजों की सेवा करने का सिर्फ रूपयों को ऐसी अहमियत दी हुई है इलाज हो या ना हो मरीज से पैसे ऐंठने का खेल बना ही लेते है। ऐसे ही मुरादनगर के प्राइवेट अस्पताल ने ऐसा खेल खेला जिससे मरीज का फर्जी ऑपरेशन भी होता रहा और लगभग 18 हजार का बिल भी बना दिया।
आपको बता दे कि शनिवार को रावली रोड पर 14 वर्षीय अयान पुत्र अनवार (ई-रिक्शा चालक) अपने पिता के साथ बाइक से घर जा रहा था तभी अचानक रास्ते में बच्चे का एक्सीडेंट हो गया जिसमें अयान की सीधे हाथ की उंगली मे चोट लग गई। जिसको रावली रोड स्थित सिटी अस्पताल में उपचार के लिए ले जाया गया जहां डाक्टर वसीम ने उसके परिजनो से अयान के ऑपरेशन की बात करते हुए 5 घंटे तक अयान से मिलने नही दिया। अयान के परिजनो का कहना है कि डाक्टर वसीम ने हमे 5 घंटे चले ऑपरेशन के बाद 18700 रूपए का बिल थमा दिया। अयान के पिता ई-रिक्शा चालक है उन्होने बताया कि उन्होने डाक्टर वसीम से बिल मे रियायत(पैसे कम) करने की बात कही इस पर डॉक्टर वसीम ने मेरे साथ गाली-गलौज के पुलिस मे फर्जी पकड़वाने की धमकी देते हुए सारे पैसे देने को कहा, इस पर अयान के पिता हर तरफ से पैसे चुकाने को लेकर भागते रहे जिसमे उन्होने 13-14 हजार रूपए सिटी अस्पताल के डाक्टर वसीम को देकर अपने बेटे को घर ले गए मगर बच्चे को हाथ में और तेज दर्द होने लगा जिससे डर के मारे अयान के पिता फिर से सिटी अस्पताल ना जाकर किसी और डाक्टर के बच्चे को दिखाने पहुंच गए जहां अयान के पिता को सिटी अस्पताल के धोखेबाजी के बारे मे पता चला, दूसरे डाक्टर ने बताया कि अयान का कोई ऑपरेशन नही हुआ है उंगली को ऐसे ही छोड़ कर पट्टी कर दी गई जबकि वो उंगली टूटी हुई थी। अयान के पिता ने सिटी अस्पताल डाक्टर वसीम से किसी ओर से बात कराकर इस बारे मे बात कराई तो डाक्टर वसीम ने धमकी देते हुए कहा कि सिर्फ 1000 या 2000 ही रूपए वापस होंगे वरना जो करना है वो करलो।
अब सवाल ये उठता है जब अयान का इलाज दूसरे डाक्टर ने किया तो सिटी अस्पताल ने फर्जी ऑपरेशन कर उसके पिता से पैसे क्यो ऐंठे ? ना जाने सिटी अस्पताल ने अयान जैसे कितने मरीज के साथ ऐसा खिलवाड़ किया होगा ? अब देखना ये होगा कि सिटी अस्पताल पर गाजियाबाद स्वास्थ्य विभाग अधिकारी कब संज्ञान लेकर मरीज को इंसाफ दिला पाएंगे ?