3rd December 2024

देश

किसानों के मसीहा महात्मा महेंद्र सिंह टिकैत का जन्मदिवस पूरा देश बना रहा- मीडिया प्रभारी सुनील प्रधान

रिपोर्ट: धर्मेंद्र शर्मा

किसानों के मसीहा महात्मा महेंद्र सिंह टिकैत का जन्म 6 अक्टूबर 1935 में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली गाँव में एक जाट परिवार में हुआ था। 1986 में ट्यूबवेल की बिजली दरों को बढ़ाए जाने के ख़िलाफ़ मुज़फ्फरनगर के शामली से एक बड़ा आंदोलन शुरु किया था। जिसमे मार्च 1987 में प्रशासन और राजनीतिक लापरवाही से संघर्ष हुआ और दो किसानों और पीएसी के एक जवान की मौत हो गई। इसके बाद टिकैत राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ गए। बाबा टिकेत की अगुवाई में आन्दोलन इस कदर मजबूत हुआ कि प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह को खुद सिसौली ग्राम में आकर पंचायत को संबोधित करना पड़ा और किसानों को राहत दी गई।

 

कौन थे स्व. बाबा टिकैत

हम बात कर रहे है किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक स्व. महेंद्र सिंह टिकैत की, जिन्हें लोग बाबा टिकैत और महात्मा टिकैत के नाम से भी बुलाते थे। इस आन्दोलन के बाद बाबा टिकैत की छवि मजबूत हुई और देशभर में घूम घूम कर उन्होंने किसानों के हक़ के लिए आवाज उठाना शुरू कर दिया। कई बार राजधानी दिल्ली में भी धरने प्रदर्शन किये गए। हालांकि उनके आन्दोलन राजनीति से दूर होते थे, टिकैत जाटों के रघुवंशी गौत्र से थे, लेकिन बालियान खाप में सभी बिरादरियां थीं। टिकैत ने खाप व्‍यवस्‍था को समझा और ‘जाति’ से अलग हटकर सभी बिरादरी के किसानों के लिए काम करना शुरू किया। किसानों में उनकी लोकप्रियता बढती जा रही थी.

भाकियू की स्थापना

इसी क्रम में उन्होंने 17 अक्‍टूबर 1986 को किसानों के हितों की रक्षा के लिए एक गैर राजनीतिक संगठन ‘भारतीय किसान यूनियन’ की स्‍थापना की। किसानों के लिए लड़ाई लड़ते हुए अपने पूरे जीवन में टिकैत करीब 20 बार से ज्यादा जेल भी गए। लेकिन उनके समर्थकों ने उनका साथ हर जगह निभाया। अपने पूरे जीवन में उन्होंने विभिन्न सामाजिक बुराइयों जैसे दहेज़, मृत्युभोज, अशिक्षा और भ्रूण हत्या जैसे मुद्दों पर भी आवाज उठायी। बाबा टिकैत की पंचायतों और संगठन में जाति धर्म लेकर कभी भेदभाव नहीं दिखा। जाट समाज के साथ ही अन्य कृषक बिरादरी भी उनके साथ उनके समर्थन में होती थी। खाद, पानी, बिजली की समस्याओं को लेकर जब किसान सरकारी दफ्तरों में जाते तो उनकी समस्याओं को सरकारी अधिकारी गंभीरता से नहीं लेते थे। टिकैत ने किसानों की समस्याओं को जोरदार तरीके से रखना शुरू किया। 1988 में दिल्ली में वोट क्लब में दिए जा रहे एक बड़े धरने को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा था, “इंडिया वालों खबरदार, अब भारत दिल्ली में आ गया है।”

 

 

 

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