
नोएडा (धर्मेंद्र शर्मा)। ऑडिशन के नाम पर मॉडलों को बुलाकर अश्लील कंटेंट बनाने का पूरा नेटवर्क डिजिटल टोकन पर आधारित था। यदि कोई इस नेटवर्क के साथ सेक्स चैट करता था, तो उसे डिजिटल टोकन खरीदना अनिवार्य होता था। इसी तरह, अश्लील वीडियो देखने के लिए भी डिजिटल टोकन खरीदने की शर्त रखी गई थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अब इस नेटवर्क के अंतरराष्ट्रीय संबंधों की जांच कर रहा है, जिसमें कई देशों के लोगों की संलिप्तता सामने आई है।
नोएडा के सेक्टर-105 में चल रहा था गोरखधंधा
शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय ने नोएडा के सेक्टर-105 में स्थित एक दंपती के घर पर छापा मारकर इस अंतरराष्ट्रीय अश्लील कंटेंट रैकेट का भंडाफोड़ किया। जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि इस घर में एक अत्याधुनिक स्टूडियो बनाया गया था, जहां से अश्लील कंटेंट को रिकॉर्ड कर पोर्नोग्राफी साइट्स पर अपलोड किया जाता था।
दंपती चला रहा था एडल्ट वेबकैम स्टूडियो
ईडी की जांच में यह तथ्य सामने आया कि उज्ज्वल किशोर और उसकी पत्नी नीलू श्रीवास्तव नामक दंपती इस अवैध कारोबार को चला रहे थे। वे साइप्रस स्थित एक कंपनी के लिए काम कर रहे थे और अपने घर से ही एडल्ट वेबकैम स्टूडियो संचालित कर रहे थे। इस गिरोह की कमाई का मुख्य जरिया डिजिटल टोकन था, जो उपयोगकर्ताओं को वीडियो और लाइव चैट सेवाओं के लिए खरीदने पड़ते थे।
विदेशों से फंडिंग का खुलासा
सूत्रों के मुताबिक, इस अवैध नेटवर्क को साइप्रस और नीदरलैंड से फंडिंग मिल रही थी। इन पोर्नोग्राफी साइट्स पर विभिन्न कैटेगरी में वीडियो और लाइव चैट का विकल्प दिया गया था। उपयोगकर्ताओं को इन सेवाओं का उपयोग करने के लिए पहले टोकन खरीदना पड़ता था, जिससे इस गिरोह को बड़ी मात्रा में आर्थिक लाभ होता था।
सोशल मीडिया पर जारी किया जाता था विज्ञापन
सोशल मीडिया पर विज्ञापन में मॉडलिंग ऑडिशन की जानकारी दी जाती थी। जब युवतियां नोएडा स्थित घर पर ऑडिशन देने पहुंचती थी तो आरोपी की पत्नी उन्हें इस अश्लील रैकेट का हिस्सा बनने का प्रस्ताव देती थी। इस प्रस्ताव में 1 से 2 लाख रुपये महीने कमाने का प्रलोभन दिया जाता था। ईडी की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक अब तक की जांच में 15.66 करोड़ रुपये की अवैध विदेशी फंडिंग का खुलासा हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की जांच जारी
प्रवर्तन निदेशालय इस गिरोह के अंतरराष्ट्रीय संबंधों की गहराई से जांच कर रहा है। कई देशों के नेटवर्क से जुड़े होने के संकेत मिले हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह रैकेट वैश्विक स्तर पर संचालित हो रहा था। ईडी की टीम अब यह पता लगाने में जुटी है कि इस नेटवर्क में और कौन-कौन लोग शामिल थे और इस गोरखधंधे का दायरा कितना विस्तृत था।
इस मामले में आगे की जांच जारी है और जल्द ही अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी हो सकती है।