डिफेंस कॉरिडोर घोटाले में बड़ा खुलासा, 16 अधिकारी-कर्मचारी दोषी करार,राजस्व परिषद की रिपोर्ट पर सीएम ने लगाई मुहर
ब्यूरो रिपोर्ट

लखनऊ, 26 मार्च 2025: लखनऊ के भटगांव में डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण में हुए बड़े घोटाले में आईएएस अभिषेक प्रकाश और तत्कालीन अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) अमर पाल सिंह समेत 16 अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी ठहराया गया है। राजस्व परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. रजनीश दुबे की जांच रिपोर्ट को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंजूरी दे दी है। इस घोटाले में शामिल सभी दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी है।
आईएएस अभिषेक प्रकाश पहले ही निलंबित:
इस घोटाले में लखनऊ के तत्कालीन जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश पहले ही घूस मांगने के आरोप में निलंबित किए जा चुके हैं। अब जांच में उनके खिलाफ लगे जमीन अधिग्रहण घोटाले के आरोप भी सही पाए गए हैं। रिपोर्ट में यह भी साफ हो चुका है कि बाकी दोषी सेवारत कर्मियों का निलंबन भी तय है।
कैसे हुआ घोटाला:
वर्ष 2021 में भटगांव में 1985 की फर्जी पट्टा पत्रावली के आधार पर जमीन के मुआवजे के दावे किए गए थे। कथित आवंटियों, उनके वारिसों और उनसे जमीन खरीदने वालों को बड़े पैमाने पर गलत तरीके से मुआवजा दिया गया।
- आरक्षित श्रेणी की सरकारी जमीन को भी घोटालेबाजों के नाम कर दिया गया।
- 36-37 साल पुरानी फर्जी पट्टा पत्रावली के आधार पर आवंटियों को अंसक्रमणीय और संक्रमणीय भूमिधर के रूप में दर्ज किया गया।
- अनुसूचित जाति की जमीन को अवैध रूप से बेचने की अनुमति दी गई।
- कई मामलों में खतौनी में नाम दर्ज नहीं था, फिर भी केवल रजिस्ट्री के आधार पर मुआवजे का भुगतान कर दिया गया।
जांच में सामने आई अनियमितताएं:
इस पूरे मामले की जांच राजस्व परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. रजनीश दुबे और कानपुर के तत्कालीन मंडलायुक्त अमित गुप्ता की कमेटी ने की। रिपोर्ट में पाया गया कि:
- लखनऊ के तत्कालीन जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश, जो कि क्रय समिति के अध्यक्ष थे, ने अपने दायित्वों का पालन नहीं किया।
- सरोजनीनगर के तहसीलदार, जो सदस्य सचिव थे, ने भी अनियमितताओं को रोकने में लापरवाही बरती।
- इससे शासकीय धन की बड़ी हानि हुई।
किन अधिकारियों को दोषी ठहराया गया:
जांच रिपोर्ट में इन 16 अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी पाया गया है:
- एसडीएम: संतोष कुमार, शंभु शरण, आनंद कुमार, देवेंद्र कुमार
- तहसीलदार: ज्ञानेंद्र सिंह, विजय कुमार सिंह, उमेश कुमार, मनीष त्रिपाठी
- नायब तहसीलदार: कविता ठाकुर
- राजस्व निरीक्षक: राधेश्याम, जितेंद्र कुमार सिंह, नैन्सी शुक्ला
- लेखपाल: हरिश्चंद्र, ज्ञान प्रकाश अवस्थी
राजस्व विभाग ने कार्रवाई के लिए रिपोर्ट नियुक्ति विभाग, राजस्व परिषद, लखनऊ के डीएम और कमिश्नर को भेज दी है। आगे की कार्रवाई संबंधित नियुक्ति प्राधिकारी करेंगे।
मुआवजा राशि की होगी वसूली:
घोटाले में शामिल 79 फर्जी आवंटियों के नाम राजस्व रिकॉर्ड से निरस्त किए जाएंगे। जमीन को दोबारा ग्राम समाज के खाते में दर्ज किया जाएगा।
- जो भी खरीद-फरोख्त हुई है, उसे शून्य माना जाएगा।
- यूपीडा को अवैध रूप से जमीन बेचकर जिन्होंने मुआवजा लिया है, उनसे नियमानुसार धनराशि की वसूली की जाएगी।
- इन लोगों के खिलाफ समुचित कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
सरोजनीनगर के कर्मचारियों पर भी गिरेगी गाज:
उपनिबंधक सरोजनीनगर के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। मामले में जिन अधिकारियों के खिलाफ पहले से विभागीय कार्यवाही चल रही है, उसे शीघ्र ही पूर्ण किया जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी का सख्त रुख:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डिफेंस कॉरिडोर के नाम पर हुए इस घोटाले को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने साफ किया है कि भ्रष्टाचार के मामलों में सरकार “जीरो टॉलरेंस” की नीति पर काम कर रही है। दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
डिफेंस कॉरिडोर परियोजना:
डिफेंस कॉरिडोर उत्तर प्रदेश की एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देना है। इस परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण में हुए घोटाले ने प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मुख्यमंत्री योगी ने परियोजना को पारदर्शी बनाने और जिम्मेदार अधिकारियों को जवाबदेह बनाने पर जोर दिया है।
निष्कर्ष:
डिफेंस कॉरिडोर घोटाला प्रदेश में एक बड़ा प्रशासनिक भ्रष्टाचार का उदाहरण बन गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती से संकेत मिलता है कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। अब देखना होगा कि आगे की कानूनी प्रक्रिया कितनी तेजी से पूरी होती है और दोषियों को कब तक सजा मिलती है।