4th October 2024

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क्या फिर मुख्यमंत्री बनेंगे मामा, एमपी हारे तो क्या होगा शिवराज सिंह चौहान का भविष्य?

भाजपा के एक केंद्रीय नेता ने अमर उजाला से कहा कि मध्यप्रदेश में पार्टी की जीत तय है। लेकिन राज्य में सरकार की कमान किसके हाथों में सौंपी जाएगी, यह जीते हुए विधायक और पार्टी का आलाकमान तय करेगा

अलग-अलग एग्जिट पोल के नतीजे मध्यप्रदेश को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा करने वाले हैं। कुछ एग्जिट पोल में भाजपा को मध्यप्रदेश में क्लीन स्वीप करते हुए दिखाया गया है, तो कुछ एग्जिट पोल में कांग्रेस सरकार बनाती हुई दिखाई पड़ रही है। वहीं, कुछ एग्जिट पोल ऐसे भी हैं, जो मध्यप्रदेश में दोनों पार्टियों के बीच अच्छी टक्कर होने की संभावना भी जता रहे हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव के नतीजे पर कोई साफ तस्वीर न सामने आने से दोनों ही पार्टियां और उनके समर्थक अपने अपने कयास लगा रहे हैं। इसी के साथ यह सवाल अहम् हो गया है कि शिवराज सिंह चौहान का राजनीतिक भविष्य क्या होगा? यदि भाजपा मध्यप्रदेश में शानदार जीत हासिल करती है, तो राज्य की कमान कौन संभालेगा? क्या शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर मध्यप्रदेश की कमान संभालेंगे? या जिस तरह की बातें कही जा रही थीं, भाजपा आलाकमान मध्यप्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन करेगा और पार्टी की कमान नए हाथों में होगी। यह जानना भी महत्वपूर्ण होगा कि यदि भाजपा को चुनाव में हार मिलती है तो शिवराज सिंह चौहान का भविष्य क्या होगा?

भाजपा ने मध्यप्रदेश में अपने पूरे चुनावी अभियान में शिवराज सिंह चौहान को हाशिये पर रखा। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री के कामों को मजबूत तरीके से नहीं उठाया। वे लगातार केंद्र सरकार के कार्यों का उल्लेख करते रहे। यहां तक कि शिवराज सिंह को टिकट मिलेगा या नहीं, इस बात पर अंतिम समय तक संशय बना रहा। चुनाव प्रचार की पूरी रणनीति भी अमित शाह और उनके भरोसेमंद लोगों के हाथों में रही। कई बार पूछे जाने पर भी पार्टी ने मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर खुलासा नहीं किया।

ये इस बात के संकेत हैं कि पार्टी राज्य में नेतृत्व परिवर्तन कर पार्टी की कमान नई पीढ़ी के हाथों में देने का मन बना चुकी है। कई अन्य राज्यों में भी पार्टी ने यही नीति अपनाई है। मध्यप्रदेश में भी वह भविष्य की राजनीति को देखते हुए नए नेतृत्व को उभारने की तैयारी कर चुकी है। चुनावी बेला में लाभ-हानि का गणित देखते हुए उसने नेतृत्व में परिवर्तन नहीं किया, लेकिन अब वह परिवर्तन करेगी। इस परिस्थिति में शिवराज सिंह चौहान को दोबारा मुख्यमंत्री के रूप में अवसर मिलने की संभावना नहीं दिखाई दे रही है।

क्या किसी ओबीसी या दलित को मिलेगी कमान?

बड़ा प्रश्न यह है कि ऐसी स्थिति में राज्य में सरकार की कमान कौन संभालेगा? जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने ओबीसी, आदिवासी और दलित समाज की राजनीति को आगे बढ़ाया है, माना जा रहा है कि पार्टी इन्हीं समुदायों में से किसी एक चेहरे को अवसर देगी। यह दांव कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के जातिगत जनगणना और ओबीसी राजनीति को लेकर खेले जा रहे दांव का जवाब भी होगा। राज्य की न्यूनतम 49 फीसदी आबादी वाले पिछड़े समुदाय को भाजपा का कोर समर्थक वर्ग माना जाता है। कहा तो यहां तक जाता है कि पिछले चुनाव में जब अगड़ी जातियां भाजपा से नाराज चल रही थीं, इसी वर्ग ने भाजपा की लाज बचाने का काम किया था।

यदि भाजपा ने इन समीकरणों को ध्यान में रखकर नेतृत्व परिवर्तन किया, तो प्रह्लाद सिंह पटेल या नारायण सिंह कुशवाहा जैसे नेताओं की लॉटरी लग सकती है। चूंकि, प्रह्लाद सिंह पटेल पिछड़ी जाति से आते हैं, उनके पास पर्याप्त प्रशासनिक अनुभव भी है और वे केंद्रीय नेतृत्व के भी भरोसेमंद हैं, मुख्यमंत्री के रूप में वे भाजपा की पहली पसंद हो सकते हैं। नरेंद्र सिंह तोमर और कैलाश विजयवर्गीय अपने-अपने विवादों के कारण और नरोत्तम मिश्रा या वीडी शर्मा जातीय समीकरण की राजनीति में फिट न होने के कारण योग्य होने के बाद भी इस दौड़ में पिछड़ सकते हैं।

क्या होगा शिवराज का भविष्य

भाजपा के एक केंद्रीय नेता ने अमर उजाला से कहा कि मध्यप्रदेश में पार्टी की जीत तय है। लेकिन राज्य में सरकार की कमान किसके हाथों में सौंपी जाएगी, यह जीते हुए विधायक और पार्टी का आलाकमान तय करेगा। उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह चौहान पार्टी के बेहद योग्य, अनुभवी और राजनीति की बारीक समझ रखने वाले नेता हैं। पार्टी उनके अनुभव का पूरा इस्तेमाल करेगी। इसके पहले भी पार्टी का उपाध्यक्ष बनाकर उन्हें केंद्रीय भूमिका में लाने की कोशिश की गई थी। पार्टी की सदस्यता अभियान को उन्होंने बेहद अच्छे तरीके से संचालित किया था। ऐसे में यदि मध्यप्रदेश में कोई बदलाव होता है, तो केंद्र में उन्हें किसी प्रभावशाली भूमिका में लाया जा सकता है। अरुण जेटली, सुषमा स्वराज और अनंत कुमार जैसे नेताओं के दिवंगत हो जाने से केंद्रीय मंत्रिमंडल में अनुभवी नेताओं की जो कमी हुई है, उसे भी भरने में शिवराज सिंह चौहान का उपयोग किया जा सकता है।

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