13th October 2024

ऊतराखंडदेश

आज का शुभ विचार :विनम्रता ,-अभिमान(कल का विचार था)शब्द का विलोम शब्द है मगर दोनो शब्दों के शब्दार्थ में बहुत भिन्नता है। *उदाहरण के तौर पर जैसे अमृत और विष।

लेखक - (डॉक्टर अनुज शर्मा)

उसी प्रकार विनम्रता और अभिमान दोनो शब्दों की भिन्न-भिन्न विशिष्टतायें है।

व्यक्ति को विनर्म होना चाहिये।**विनर्म व्यक्ति अपने आस पास एक ऐसा दिव्य रूपी चक्र बना लेता है**जिसमें कोई भी द्वेष या विकार प्रवेश नहीं कर सकता।
*विनम्रता एक ऐसी औषधि है जिसके शरीर में विध्यमान होने से कई विकारों और द्वेषों से लड़ा और बचा जा सकता है* जिस प्रकार हमारी रोग-पृतिरोधक क्षमता कई विषाणुओं से लड़कर हमारे शरीर को स्वस्थ रखती है उसी प्रकार व्यक्ति की *विनम्रता कई विकारों से लड़ कर आपकी आत्मा और हृदय को पवित्र और विकारमुक्त बनाती है।* निसंदेह विनम्र व्यक्ति कई रूपों में इस सांसारिक बेला में एक सूर्य की भाँति प्रकाशमान होता है।
कई बार ऐसा देखा गया है की किसी व्यक्ति में अगर विनम्रता निहित नहीं है तो उक्त व्यक्ति प्रतिदिन के अभ्यास और *अपने व्यवहार में अमलचुक परिवर्तन कर विनम्रता रूपी अमृत को प्राप्त कर सकता है।*
विनम्रता का एक श्रेस्ठ उदाहरण जिस से हम सभी भली भाँति परिचित है –*जिस प्रकार फलदार वृक्ष स्वतः ही झुक जाता है *और फलों से वंचित वृक्ष अभिमान की भाँति सीधा,अडिग खड़ा रहता है।यहाँ पर **वास्तविक रूप में फलों का तात्पर्य- **हमारे- ज्ञान,भाषा,व्यवहार,उदारता,करुणा, इत्यादि को दर्शाता है*
* विनम्र व्यक्ति *मृदुभाषी,सोम्य,दयालु,करुणा से पूर्ण होता है । जिसके हृदय में कोई छल नहीं होता है।*

*आज के विचार का सार यही है की हमको विनम्र होना चाहिए ना कि अभिमानी।।*

*आप पाएँगे की आपका जीवन सुखमय और अत्यधिक सार्थक होगा |*

*लेखक – (डॉक्टर अनुज शर्मा)*

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close