सबसे बड़ा लोकतंत्र स्थाई सदस्य नहीं तो विश्व के लिए बोलने का दावा कैसे’, पीएम मोदी ने UN पर उठाए सवाल
पीएम मोदी बृहस्पतिवार को दो दिनी दौरे पर पेरिस पहुंच गए। इससे पहले, फ्रांस के अखबार को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा, प्राचीनकाल से, भारत वैश्विक आर्थिक विकास, तकनीकी उन्नति व मानव विकास में योगदान में सबसे आगे रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर फिर सवाल उठाया है कि यह संस्था दुनिया के लिए बोलने का दावा कैसे कर सकती है, जब सबसे अधिक आबादी वाला देश और सबसे बड़ा लोकतंत्र इसका स्थायी सदस्य नहीं है? उन्होंने कहा, भारत को अपना उचित स्थान फिर से हासिल करने की जरूरत है, क्योंकि मुद्दा सिर्फ संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता का नहीं है। वैश्विक दक्षिण के अधिकारों को लंबे समय से नकारा गया। इससे इन देशों के लोगों के मन में गुस्सा है। भारत वैश्विक दक्षिण और पश्चिमी दुनिया के बीच सेतु की भूमिका में है।
पीएम मोदी ने कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया के कई देश बूढ़े हो रहे हैं, भारत दुनिया का सबसे युवा देश है। युवा हमारी सबसे मजबूत संपत्ति हैं। भारत के युवा व कुशल कार्यबल आने वाले दशकों में दुनिया के लिए भी संपत्ति होंगे।
भारत वैश्विक चर्चा में अनूठा व विशिष्ट दृष्टिकोण लाता है
पीएम मोदी बृहस्पतिवार को दो दिनी दौरे पर पेरिस पहुंच गए। इससे पहले, फ्रांस के अखबार को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा, प्राचीनकाल से, भारत वैश्विक आर्थिक विकास, तकनीकी उन्नति व मानव विकास में योगदान में सबसे आगे रहा है। विश्वभर में मंदी, खाद्य सुरक्षा, मुद्रास्फीति, सामाजिक तनाव जैसी समस्याओं का आज भारत समाधान पेश कर रहा है। इस वैश्विक पृष्ठभूमि में, मैं भारतीयों में नया आत्मविश्वास और विश्व में अपना समुचित स्थान लेने की उत्सुकता देख रहा हूं। पीएम ने कहा, भारत वैश्विक चर्चा में अनूठा व विशिष्ट दृष्टिकोण लाता है। यह सदैव शांति, निष्पक्ष आर्थिक व्यवस्था, कमजोर देशों की चिंताओं और आम चुनौतियों के समाधान के लिए वैश्विक एकजुटता के पक्ष में खड़ा है।
भारत के युवा दुनिया के लिए संपत्ति
भारत की सॉफ्ट पावर के स्तंभ को लेकर पूछे सवाल पर मोदी ने कहा, हमारा निर्यात कभी युद्ध और पराधीनता नहीं रहा, बल्कि योग, आयुर्वेद, अध्यात्म, विज्ञान, गणित और खगोल विज्ञान रहा है। हम हमेशा वैश्विक शांति और प्रगति में योगदान करते रहे हैं। यह सौभाग्य की बात है कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता में नए सिरे से रुचि पैदा हुई है। योग आज एक घरेलू शब्द है। आयुर्वेद की हमारी पारंपरिक चिकित्सा को स्वीकार्यता मिल रही है। भारतीय सिनेमा, व्यंजन, संगीत और नृत्य की दुनिया भर में मांग हो रही है।