नोएडा में स्वामी चिदानन्द गिरि के विचार गहन और प्रेरणादायक बोले परमात्मा के साथ एक सचेत संबंध बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण
रिपोर्ट : चमन सिंह

स्वामी चिदानन्द गिरि के विचार गहन और प्रेरणादायक हैं। ध्यान और आत्म-साक्षात्कार के माध्यम से आंतरिक शांति और आध्यात्मिक विकास की दिशा में कदम बढ़ाना वास्तव में जीवन को एक नई दिशा प्रदान कर सकता है।
योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया वाईएसएस और सेल्फ-रियलाइजेशन फेलोशिप एसआरएफ की शिक्षाओं का आधार ही ध्यान और योग है, जो परमहंस योगानंद द्वारा स्थापित किया गया था। परमहंस योगानंद की “ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी” (एक योगी की आत्मकथा) ने दुनियाभर में लाखों लोगों को ध्यान और आत्म-अन्वेषण के मार्ग पर प्रेरित किया है।
स्वामी चिदानन्द गिरि का यह संदेश आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में विशेष रूप से प्रासंगिक है, जहां मानसिक शांति और आंतरिक संतुलन की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की जाती है। ध्यान के नियमित अभ्यास से न केवल तनाव कम होता है, बल्कि यह हमें हमारे भीतर छिपी असीम संभावनाओं को भी साकार करने में सहायता करता है।
स्वामी चिदानन्द गिरि का यह संदेश दर्शाता है कि नोएडा (चमन सिंह ): जीवन के हर क्षेत्र में—चाहे वह परिवार हो, कार्यस्थल हो, या समाज—आध्यात्मिक जुड़ाव और परमात्मा के साथ एक सचेत संबंध बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। यह संबंध हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए एक स्थायी आंतरिक शक्ति और शांति प्रदान करता है।
वाईएसएस नोएडा आश्रम में आयोजित इस सत्संग में बड़ी संख्या में लोगों की भागीदारी यह दिखाती है कि ध्यान, योग और आत्म-साक्षात्कार के प्रति लोगों की रुचि और आवश्यकता कितनी बढ़ रही है। ऑनलाइन माध्यम से भी हजारों लोगों ने इस संदेश को सुना, जो तकनीक और आध्यात्मिकता के सुंदर संयोजन को दर्शाता है।