बार-बार चुनाव विकास में बाधा, ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर बोले भाजपा नेता सुनील बंसल
Published by धर्मेंद्र शर्मा

कानपुर (दीपक मिश्र) — बार-बार होने वाले चुनाव देश के विकास में स्पीडब्रेकर हैं और अब समय आ गया है कि चुनावी प्रक्रिया में जरूरी बदलाव किए जाएं। यह विचार भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने सोमवार को छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के दौरान व्यक्त किए।
वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई सभागार में हुई इस संगोष्ठी में सुनील बंसल ने कहा कि बीते 30 वर्षों में शायद ही कोई ऐसा साल रहा हो, जब देश में कोई चुनाव न हुआ हो। इससे न केवल समय और संसाधनों की भारी बर्बादी होती है, बल्कि सरकार के विकास कार्यों पर भी इसका असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि पांच साल की सरकार में लगभग एक साल आचार संहिता के कारण कामकाज प्रभावित होता है।
बंसल ने बताया कि बार-बार चुनावों पर लगभग पांच से सात लाख करोड़ रुपये का खर्च आता है, जिसे अगर एक राष्ट्र, एक चुनाव प्रणाली लागू की जाए तो बचाया जा सकता है और इन संसाधनों को शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लगाया जा सकता है। उन्होंने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसे पाने के लिए ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ जैसी पहलें जरूरी हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि हर वर्ष चुनाव होने से देश की शक्ति और साधनों का दुरुपयोग होता है। उन्होंने कहा कि जनता को यह समझना होगा कि यह पहल क्यों जरूरी है और कैसे यह देश के हित में है।
कार्यक्रम में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक की प्रशंसा करते हुए कहा