निलंबित आईएएस अभिषेक प्रकाश की संपत्ति की जांच करेगी विजिलेंस। वसूली के कारण किए गए निलंबित
ब्यूरो रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए इन्वेस्ट यूपी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई सोलर ऊर्जा उपकरण निर्माता कंपनी एसएईएल सोलर पी6 प्राइवेट लिमिटेड से प्रोजेक्ट मंजूरी के लिए रिश्वत मांगने के आरोपों के बाद की गई है।
प्रकरण का विवरण:
एसएईएल सोलर पी6 प्राइवेट लिमिटेड ने उत्तर प्रदेश में सोलर सेल, सोलर पैनल और सोलर प्लांट के पुर्जे बनाने की फैक्ट्री स्थापित करने के लिए इन्वेस्ट यूपी में आवेदन किया था। कंपनी के प्रतिनिधि विश्वजीत दत्ता के अनुसार, मूल्यांकन समिति की बैठक से पहले, इन्वेस्ट यूपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उन्हें निजी व्यक्ति निकांत जैन से संपर्क करने का सुझाव दिया। जैन ने प्रोजेक्ट की कुल लागत का 5% कमीशन के रूप में मांगा और अग्रिम भुगतान की मांग की। कमीशन देने से इनकार करने पर, प्रोजेक्ट की फाइल में देरी की गई और पुनर्मूल्यांकन के लिए कहा गया।
शिकायत और जांच:
विश्वजीत दत्ता ने इस मामले की शिकायत मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह से की। शिकायत में उन्होंने उल्लेख किया कि कमीशन न देने के कारण, प्रोजेक्ट की फाइल को टाल दिया गया और बिना रिश्वत के काम नहीं होने की धमकी दी गई। मुख्य सचिव को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि उनके मालिक इस प्रोजेक्ट को दूसरे प्रदेश में ले जा सकते हैं, इसलिए इन लोगों पर कार्रवाई करने के साथ प्रोजेक्ट को मंजूर किया जाए।
कार्रवाई:
शिकायत की गोपनीय जांच में आरोप सही पाए गए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अवगत कराने के बाद, उन्होंने तत्काल अभिषेक प्रकाश को निलंबित करने और पूरे प्रकरण की जांच के लिए मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। पुलिस ने बिचौलिए निकांत जैन को चिन्हित कर हुसड़िया चौराहे के पास से गिरफ्तार कर लिया।
अभिषेक प्रकाश का प्रोफाइल:
अभिषेक प्रकाश 2006 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। 1982 में जन्मे अभिषेक मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन एवं पब्लिक पॉलिसी में एमए किया है। वह लखीमपुर खीरी, लखनऊ, अलीगढ़ और हमीरपुर जिलों के जिलाधिकारी रह चुके हैं। निलंबन से पहले, वह उत्तर प्रदेश सरकार में सचिव, औद्योगिक विकास विभाग और इन्वेस्ट यूपी के सीईओ के पद पर कार्यरत थे।
आगे की जांच:
सूत्रों के अनुसार, निकांत जैन केवल इन्वेस्ट यूपी के अधिकारियों के लिए ही दलाली नहीं करता था, बल्कि अन्य विभागों के अधिकारियों से भी उसकी नजदीकियां थीं। पुलिस निकांत के मोबाइल फोन, व्हाट्सएप और अन्य मैसेंजर ऐप के चैट की जांच कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसकी पहुंच किन-किन विभागों तक थी। निकांत का मोबाइल फोरेंसिक जांच के लिए भी भेजा जाएगा ताकि डिलीट किया हुआ डेटा भी रिकवर किया जा सके।
सरकार का संदेश:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कार्रवाई के माध्यम से स्पष्ट संदेश दिया है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार ने उद्यमियों को भरोसा दिलाया है कि कोई भी सरकारी प्रक्रिया में बाधा डालने या रिश्वत मांगने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
निष्कर्ष:
यह प्रकरण दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश सरकार निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी। इससे प्रदेश में निवेश के माहौल में सुधार होगा और उद्यमियों का विश्वास बढ़ेगा।