मालिनी के सुरों में सजा होली खेलें मसाने में, कलाग्राम में हिलोरे मार रहा कलाओं का संगम
प्रयागराज रिपोर्ट :सागर शर्मा

कलाग्राम में माटी की सुगंध से लबरेज आंचलिक लोक नृत्य, देशज लोकगीत एवं गायन के साथ पूरे भारत की सांस्कृतिक छटा निखरी। आकर्षक वेशभूषा, कलाप्रेमियों का ध्यान खींचते सजे-धजे चेहरे और घुंघरुओं की छम-छम हर किसी का ध्यान खींच रही थी।
शनिवार को कलाग्राम के भव्य मंच पर विभिन्न राज्यों से आए कलाकार थिरके तो लोक कलाओं का संगम हिलोरें मारने लगा। सांस्कृतिक संध्या मशहूर लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी के नाम रही। मंच पर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ दर्शकों ने उनका स्वागत जोरदार किया। स्वागत से अभिभूत मालिनी अवस्थी ने मां गंगा को प्रणाम किया और अपने कार्यक्रम की शुरुआत ॐ नमः शिवाय…से की।
इसके बाद उन्होंने चिर-परिचित अंदाज में पहले श्रोताओं से खुद को जोड़ा। उसके बाद मंच को सुरों से सजाना शुरू किया। लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने एक के बाद एक कई गीतों की प्रस्तुति देकर समां बांध दिया। उन्होंने ””राजा जनक के द्वारे भीड़”” तथा ””होली खेले मसाने में… की प्रस्तुति से मंच पर लोककला के रंग बिखेरे। वहीं, दर्शक दीर्घा में बैठे लोग ‘रेलिया बैरन पिया को लिए जाए’, अनादि देवी अम्बिके तुम्हे सतत प्रणाम है, नीमिया तले डोला रख दे मुसाफ़िर समेत एक के बाद एक गीतों पर झूमते रहे।
विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने लोकनृत्यों की प्रस्तुति देकर दर्शकों को अपनी संस्कृति से परिचय कराया। ओडिशा का घंटा और मृदंग नृत्य, तमिलनाडु का ओलियट्टम नृत्य, राजस्थान का कच्ची घोड़ी नृत्य, त्रिपुरा का मोगनृत्य तथा पंजाब का भांगड़ा की प्रस्तुति देकर दर्शकों से मंत्रमुग्ध किया। संचालन संजय पुरषार्थी ने किया